राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव २०१५ ( दिल्ली )
भारतीय संस्कृति की विशालता का अनुभव एक सुन्दर मेले में महसूस किया गया. चारों ओर जैसे उत्सव का माहौल थ. कितने लोग इस उत्सव में शामिल हो रहे हैं कह पाना मुश्किल है, परन्तु यह सुन्दर अहसास ही काफी था कि मैं इस देश की नागरिक हूँ. ऐसा लगा कि मनुष्य चाहे कितना ही मोबाइल एवं टेक्नोलॉजी प्रेमी क्यों न हो जाए आज भी उसे अपनी आत्मा के स्वर को पहचानना आता है. वहां मौजूद हर व्यक्ति प्रसन्नचित्त दिखाई दे रहा था, अपनी उलझनों से परे , वैमनस्य से दूर। अजीब सा सुकून , अनुपम दृश्य, आँखों मेंअपने देश की इतनी सुन्दर संस्कृति को समाने की नाकाम कोशिश. वाकई भारत अतुल्य है. सभी दिल्ली वालों से आग्रह है कि इस सुन्दर मेले में सपरिवार अवश्य जाएं. छोटे बच्चों को आप थोड़े ही समय में अपने देश के बारे में कितना कुछ बता सकते हैं. किताबी ज्ञान के परे , मेरा भारत !
भारतीय संस्कृति की विशालता का अनुभव एक सुन्दर मेले में महसूस किया गया. चारों ओर जैसे उत्सव का माहौल थ. कितने लोग इस उत्सव में शामिल हो रहे हैं कह पाना मुश्किल है, परन्तु यह सुन्दर अहसास ही काफी था कि मैं इस देश की नागरिक हूँ. ऐसा लगा कि मनुष्य चाहे कितना ही मोबाइल एवं टेक्नोलॉजी प्रेमी क्यों न हो जाए आज भी उसे अपनी आत्मा के स्वर को पहचानना आता है. वहां मौजूद हर व्यक्ति प्रसन्नचित्त दिखाई दे रहा था, अपनी उलझनों से परे , वैमनस्य से दूर। अजीब सा सुकून , अनुपम दृश्य, आँखों मेंअपने देश की इतनी सुन्दर संस्कृति को समाने की नाकाम कोशिश. वाकई भारत अतुल्य है. सभी दिल्ली वालों से आग्रह है कि इस सुन्दर मेले में सपरिवार अवश्य जाएं. छोटे बच्चों को आप थोड़े ही समय में अपने देश के बारे में कितना कुछ बता सकते हैं. किताबी ज्ञान के परे , मेरा भारत !
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