Friday, November 13, 2015

      आज बाल दिवस है . इस उपलक्ष्य में एक छोटी सी कविता -
हम और हमारे सपने

चलो आज कुछ मज़े करें 
धमाचौकड़ी खूब करें।
गुब्बारे के बड़े यान से
अंतरिक्ष की सैर करें।
इन्द्रधनुष पर चढ़ जाएँ
चंदा से गपशप कर आएं।
पतंग पकड़ हवा में उड़ लें
परियों संग बर्फ में फिसलें ।
फूलों की सुगंध चुराएं
तितली बनकर उड़ जाएँ।
मछली बनकर नदी में उछलें
पेड़ों पर बैठ तारे गिन लें.
आज के दिन कोई रोक न हो
बस हम और हमारे सपने हों। 

उषा छाबड़ा
14.11.15

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