Wednesday, September 14, 2016

 हिंदी और हम
आज हिंदी दिवस है।  सुबह से ही शुभकामनाएँ  भी फेसबुक पर दिखाई दे रहीं है और साथ ही साथ हिंदी की दुर्दशा के बारे में भी लिखा हुआ दिखाई दे रहा है।   
मैं जिन बच्चों को पढ़ाती हूँ, उनके माता- पिता अधिकतर यही बताते हैं कि  उनके घर अंग्रेजी के समाचार पत्र आते हैं , हिंदी की तो यह बस यह पाठ्य  पुस्तक ही पढ़ ले तो  बहुत है।  कई कहते हैं कि  मैम ,  हम कई किताबें लाकर देते हैं पर बच्चा  उन्हें हाथ तक नहीं लगाता।  
असल में समाज में हिंदी के बदले हम अंग्रेजी बोलना ज्यादा अच्छा समझते हैं, उसमें  ज्यादा शान  लगती है।  बच्चा असमंजस की स्थिति में रहता है कि  वह किस भाषा पर अधिक काम करे।  

बचपन में बच्चे के साथ आप जितना समय देंगे, उसके  साथ बैठकर कहानियाँ  पढ़ेंगे , उसके बारे में चर्चा करेंगे , घर में जिस भाषा को महत्त्व देंगे , बच्चे  का रुझान उस ओर  ही होगा। घरों में आजकल  अभिभावकों के पास बच्चे के पास बैठने का समय नहीं, हिंदी भाषा को जब   सिर्फ एक विषय  समझा गया ,जिसमें बच्चा पास तो हो ही जाएगा, वहाँ  बच्चे की पकड़, हिंदी भाषा  पर नहीं बन पाती। 
कई बार जब बच्चों को नाटक सिखाते वक्त स्क्रिप्ट लिखने को कहा जाता है , तो हिंदी भाषा में  नाटक लिखने के बजाय वे रोमन लिपि में हिंदी लिख रहे होते हैं, वे हिंदी लिखने से कतराते हैं , हिंदी की कोई भी किताब पढ़ने से हिचकिचाते हैं।  उनके लेखन में भी गहराई नहीं आ पाती।  
अगर हमें नई  पीढ़ी को हिंदी की ऒर आकर्षित करना है तो सबसे पहले अभिभावकों को  अपनी  मानसिकता को बदलना होगा। घरों में  अंग्रेजी के साथ- साथ हिंदी को भी उतना ही महत्तव देना होगा। प्रकाशकों को  हिंदी की किताबों को और आकर्षित बनाना होगा तभी हम आगे आने वाले समय में हिंदी का उठान देख पाएँगे , नहीं तो हर वर्ष इसी तरह हिंदी की समस्याओं का रोना रोते  रहेंगे।
उषा छाबड़ा 
१४.९.१६ 
   

Tuesday, September 6, 2016

                              वाह रे बीमारी !!!
' बीमारी ' यह शब्द किसी को अच्छा नहीं लगता। न तो  बीमार व्यक्ति को ,न ही  बीमार पड़े हुए व्यक्ति के  सगे - सम्बन्धियों को। परंतु आज मैं आपका ध्यान इसके दूसरे  पहलू की ओर ले जाऊँगी.. 

 सोचिये,  बीमार होने पर लोगों द्वारा आपका ख्याल रखा जाना आपको  कितना अच्छा लगता है।  जब तक शरीर  स्वस्थ रहता है , दूसरों के बारे में कुछ पता ही नहीं होता, सब जैसे कि  अपने अपने कामों में लगे होते हैं , किसी  के लिए समय ही नहीं होता। जैसे ही आप बीमार पड़ते हैं , आपके आस- पास वालों की ज़िन्दगी तो वैसी ही व्यस्तता से भरी होती है , उनकी अपनी दिनचर्या वैसी ही होती है , बस आप थोड़े थम से जाते हैं।  बीमार होने पर हमारा शरीर भी पूरी तरह साथ नहीं देता, हर काम धीरे- धीरे और कई बार आप दूसरों के सहारे पड़  जाते हैं।  ऐसे समय में जब परिवार के सब लोग आपका  ध्यान रखते हैं आपको अच्छा लगता है। सब यही पूछते हैं, खाना खाया कि  नहीं , दवा ली कि नहीं , अरे अभी तक मोसम्मी नहीं खायी , अरे, नारियल पानी को हाथ तक नहीं लगाया, चलो जल्दी पी लो , ठीक हो जाओ ! वाह वैसे तो किसी को इतना होश नहीं रहता लेकिन हाँ बीमार पड़ने पर इन  सभी प्रश्नों की बौछार पड़ने लगती है, मन ही मन आप खुश भी होते हैं. ....   जब किसी को आपके बीमार होने की सूचना मिलती है और वह थोड़ा-सा  अपना समय निकाल कर फोन पर बातचीत या एक छोटा- सा मैसेज ही कर देता है तो बस बीमार मन खुश हो जाता है।  डॉक्टर की दवाई के साथ- साथ यह दवाई भी अपना काम कर रही होती है।   आपके माता - पिता, भैया - भाभी, बहनें  , ननदें  , बच्चे, बड़े, रिश्तेदारों,दोस्त/ सहेलियों , आदि  और आस पड़ोस सब जब आपसे हाल चाल जानने को लिए आपसे बात करते हैं आपको अच्छा लगता है, ऐसा लगता है जैसे कि  आप ठीक हो रहे हैं , लोगों को आपकी परवाह है। 
बीमारी  में तो वैसे सारा दिन बिस्तर पर पड़े रहना बहुत अखरता है , फेसबुक पर भी ज़्यादा देर बैठने का मन नहीं करता , किसी की पोस्ट भी पढ़ने का मन नहीं करता , हाँ आपकी बीमारी  से संबंधित   जितनी जानकारी मिल जाए वह कम ही लगती है।    थोड़ा और कुछ पता चल जाए  , थोड़ा यह  पता चल जाए कि  कब तक ठीक हो जाएंगे यही तमन्ना हर समय होती है।  जीने की यही इच्छा तो पूरे संसार को चला रही है।  स्वस्थ रहें , खुश रहें  , यही सब कहते हैं , मैं तो यह भी चाहूंगी चाहे थोड़े दिनों के लिए ही सही , जनाब ज़रा बीमार भी पड़ कर देखिए  और ठीक  होने के बाद ज़िन्दगी और हसीं लगने लगेगी क्योंकि आपके चाहने वाले जो शायद अपने काम की वजह से आपको थोड़ा भूल गए थे, वे आपके सामने फिर आ खड़े होंगे। दोस्तों, जिंदगी अच्छी  है, अपने प्रिय लोगों का थोड़ा- सा साथ उसे और सुंदर  बना देता है।
 तो फिर देर किस बात की ! अगर आपका कोई नज़दीकी थोड़ा -सा बीमार है तो बस उससे बातें करने के लिए सिर्फ दो मिनट निकालिये, उस व्यक्ति को थोड़ा अच्छा महसूस कराइए, उसके आज के दिन को खुशनुमा कर दीजिये। अधिक नहीं, एक प्यारा - सा मैसेज ही काफी है। 
उषा छाबड़ा 
६. ९. १६