नवरात्र का सुन्दर समय है आया
लोगों को यह खूब है भाया।
नौ रूपों में पूजी वह जाती
देवी भरपूर सम्मान है पाती।
बड़ी लगन से सब पूजा करते
कई तो नित उपवास भी रखते।
घर पर सात्विक भोजन बनता
तन मन सबका इसमें रमता।
पूजें अपने घर की लक्ष्मी
शक्ति की जो है प्रतिलिपि ।
भेदभाव उसे क्यों सहना पड़ता
रात दिन उसे क्यों घुटना पड़ता।
सम्मान की है वह भी हकदार
गले लगाएं उसे बारम्बार।
सर्वगुणों से उसे करें संपन्न
सब मिल कर हम करें यह प्रण।
उषा छाबड़ा
लोगों को यह खूब है भाया।
नौ रूपों में पूजी वह जाती
देवी भरपूर सम्मान है पाती।
बड़ी लगन से सब पूजा करते
कई तो नित उपवास भी रखते।
घर पर सात्विक भोजन बनता
तन मन सबका इसमें रमता।
पूजें अपने घर की लक्ष्मी
शक्ति की जो है प्रतिलिपि ।
भेदभाव उसे क्यों सहना पड़ता
रात दिन उसे क्यों घुटना पड़ता।
सम्मान की है वह भी हकदार
गले लगाएं उसे बारम्बार।
सर्वगुणों से उसे करें संपन्न
सब मिल कर हम करें यह प्रण।
उषा छाबड़ा
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