Monday, April 18, 2016


     
भीम बेटका 
साँची 

विश्व विरासत दिवस

आज की पीढ़ी अपने देश के दर्शनीय स्थानों को कम जानती है।आज विश्व विरासत दिवस है। हम अपनी विरासत को तभी अच्छी तरह संभालेंगे, जब हम उसे जानेंगे ।

आज मैं अपने भोपाल दौरे के अनुभव को आपके साथ साझा करना चाहती हूँ  सन २०१३ के मार्च के महीने में मैं सपरिवार भोपाल गई तीन दिन का समय कैसे गुज़र गया, पता ही नहीं चला
वहाँ का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय श्यामला हिल्स की खूबसूरत पहाड़ियों पर करीब 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ हैयहाँ बड़े बड़े प्रदर्शनी कक्षों में आदिवासियों के आवासों कोउनके बरतनरसोईकामकाज के उपकरण, अन्न भंडार तथा परिवेश को हस्तशिल्पदेवी- देवताओं की मूर्तियों और स्मृति चिह्नों से सजाया गया है।यहाँ का भ्रमण कर आप एशिया की जनजातीय विविधताओं को करीब से देख सकते हैं। यह अपने-आप में अनूठा है 

संध्याकाल  हमने  अपर लेक में नौका विहार का आनंद उठाया   

दूसरी जगह है साँची । बौद्ध धर्मावलंबियों का यह पावन तीर्थ एक टीले की तराई में स्थित है और बौद्ध स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। शांतिपवित्रताधर्म और साहस के प्रतीक सांची के स्तूप बेहद सुंदर हैं। सम्राट अशोक ने इस स्थान का निर्माण बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु कराया था। यहाँ पहुँचकर एक अजीब- सी शांति महसूस होती है. यहाँ ऑडियो गाइड  भी उपलब्ध हैं जिससे आप यहाँ के पूरे इतिहास को जान सकते हैं  

तीसरा स्थान है भीम बेटका भीम बेटका भोपाल (मप्र) से कोई 50 किमी दूर है  यह एक पर्वतीय स्थल हैजहाँ बहुत सी प्राकृतिक गुफाएँ हैं यहाँ की कोई 500 से अधिक गुफाओं में सैकड़ों प्रागैतिहासिक चित्र हैंआदिमानवों ने गुफा की दीवारों पर विविध दर्शनीय चित्र अंकित किए थे  यहाँ के कुछ चित्र पचास हजार वर्ष पुराने हैं और जब आप यह सब अपनी आँखों से देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आप अपने पुरखों को  कितने क़रीब से जान पा रहे हैं  अपनी जड़ों को इतनी नजदीक से देखना एक सपने के समान लगता है भीम बेटका को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है  

कुल मिलाकर यह यात्रा अच्छी रही क्योंकि अंत में बच्चों ने कहा कि ऐसी जगहें हमें कितना ज्ञान स्वतः दे देती हैं ऐसे स्थानों के बारे में याद करने की आवश्यकता नहीं है, यह तो अब हमारे मानसपटल पर छप चुकी हैं 

सच, भारत बहुत सुंदर है! अपने बच्चों को इसके दर्शनीय स्थलों की सैर अवश्य कराएँ  अपनी धरोहर से बच्चों को अवगत कराएँ 
उषा छाबड़ा 

 १८.४.१६ 

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