Wednesday, September 30, 2015

कन्हैया
नन्हे कन्हैया छोटी दंतिया दिखाए
पग घुंघरू बजाए प्यारी मुरली सुनाये।
मोर पंख मस्तक पर सुन्दर सजाये
दूध दही सम्भालो मटकी फोड़न को आये 
कदंब के झूलों में वृन्दावन की गलियों में
कन्हैया को ढूँढ़ते माँ यशोदा खूब बौराए।
गोवर्धन उठाने को गोपियों संग महारास को
कालिया के मर्दन को कंस के संहार को
गीता के पाठ को घर घर गुंजाने को
कन्हैया छिप छिप के आये।
कन्हैया मंद मंद मुस्काये
कन्हैया जग में हैं आए
कन्हैया कण कण समाये।

उषा छाबड़ा

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