Tuesday, February 27, 2018

                             परीक्षा एवं समय नियोजन 

हर वर्ष कई बच्चे कक्षा दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में बैठते हैं। अकसर  यह देखा गया है कि आप  बच्चों में बहुत तनाव होता है। बच्चे  सारा पाठ्यक्रम पढ़ तो लेते हैं, परन्तु उन्हें  समझ नहीं आता कि पूरी तैयारी हो गई है कि  नहीं। एक तरफ बच्चे  किताबें तो खोल कर बैठे होते हैं पर पढ़ाई  में मन नहीं लगा पाते  , अपना आकलन स्वयं नहीं कर पाते कि अभी कितना और पढ़ना चाहिए , कितना  आराम करना चाहिए।  उधर मोबाइल पर फेस बुक ,  फोन कॉल और व्हाट्सएप्प पर भी  समय लग जाता है।  एक उलझन   की स्थिति रहती है , पढ़  भी रहे हैं, पर  संतुष्टि नहीं है। अभिभावक भी असमंजस में रहते हैं कि बच्चा क्या कर रहा है , ज़रा- सा उसे खाली देखते हैं तो कह उठते हैं , भाई खाली मत बैठो , कुछ पढ़ लो।

ऐसी स्थिति में समय नियोजन अति आवश्यक होता है।  अभी भी परीक्षा में कुछ समय है।  पूरे महीने का समय हम नियोजित कर सकते हैं  और उसी के आधार पर पढाई कर सकते हैं।
१  सबसे पहले हमें यह देखना है कि हमें पढ़ाई  के साथ- साथ थोड़ा आराम भी करना है,कुछ मनोरंजन के लिए भी समय देना है।
२ मान लीजिए हमें एक सप्ताह की समय सारिणी बनानी  है।  चूँकि  हम इन दिनों घर पर हैं , हमारे सारे काम हम अपने सोचे हुए ढंग से कर सकते हैं।
३  अपने उठने का समय निर्धारित करें।
४  हम उठ कर कितने  बजे पढ़ने बैठ सकते हैं , इसे निर्धारित करें।
५  अब कितनी देर के लिए टिक कर  बैठ सकते हैं- एक घंटा या डेढ़ घंटा या दो घंटा, उसे लिखें  ।
६  अब  उस समय किस विषय को आप पढ़ना  चाहते हैं , वह लिखें।
७ अब इसके बाद पूरे दिन में आप किस तरह बीच में आराम करना चाहते हैं , किस विषय को कितना पढ़ना चाहते हैं उसे तय करें।
८ अब अपने विषयों की तरफ देखें।  हर विषय में कितने पाठ हैं , हर पाठ को कितना समय देना है , यह तय करें।
९ अपने विषयों को अपने अनुसार समय दें।  जिस विषय में अधिक समय देना है , उसे टाइम टेबल में ज्यादा समय दें।
१० सभी पाठ पढ़ लेने के बाद  विभिन्न  विषयों का सैंपल पेपर करें।
११ धीरे- धीरे आपका आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा। जो प्रश्न नहीं आते, फिर से उस  पाठ को धयान से पढ़ें एवं दुबारा प्रश्नों को हल करें।
१२  अपने खान -पान का पूरा ध्यान रखें। समय -समय पर उठकर टहलें एवं पानी पीएँ। पौष्टिक आहार लें।
१३  सहपाठियों की  न सुनें।  हर बच्चे का पढ़ने का ढंग अलग होता है।  आप  अपनी क्षमता के अनुसार पढ़ें। 


आपको अगर  कुछ समझ नहीं आ रहा, तो अभिभावक या किसी अन्य व्यक्ति से  मदद लें। अपनी बात कहने से न हिचकिचाएँ । परीक्षा स्वयं का आकलन  है , किसी और का नहीं।  आशा है  इस तरह समय सारिणी बनाने से आपको काफी लाभ पहुँचेगा। परीक्षा के लिए नियम बद्ध होकर पढ़ने से आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा  से डर  भी नहीं लगेगा। 
उषा छाबड़ा



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