एक
कहानी
आज मैं स्कूल बस से जब अपने स्कूल की ओर जा रही थी तो पास ही कक्षा चार की एक छात्रा बैठ गई । मैं एक किताब पढ़ रही थी जिसमें छोटी-छोटी कहानियाँ
थी । वह लड़की भी मेरी किताब में झाँकने लगी । थोड़ी देर बाद
उसने मुझसे पूछा,” मैम , क्या आप भी छोटी कहानियाँ पढ़ना पसंद करती हैं ?”
मैंने कहा,“हाँ , मुझे छोटी कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है।”
उसने कहा, “मुझे भी छोटी कहानियाँ पसंद हैं ।”
मैंने पूछा, “क्यों ?”
“मैम, कहानी बड़ी होने से बीच में छोड़ने का मन नहीं करता और फिर बहुत पढ़ाई भी
करनी होती है, इसलिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाती।”
फिर मैंने कहा, “अच्छा।”
“मैम, मैं आपको एक कहानी सुनाऊँ?” लड़की ने पूछा।
मैंने कहा, “सुनाओ।” मैंने अपनी किताब बंद की और उसकी बात सुनने
लगी।
उसने बताया कि उसकी मम्मी ने उसे एक किताब से यह कहानी सुनाई थी, जिसमें
एक शैतान अपने मालिक से कहता है कि मुझे
काम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें मार डालूँगा। इसलिए फिर उसका
मालिक एक सीढ़ी बनाता है जिसमें वह उस शैतान को यह काम दे देता है कि वह सीढ़ी से
ऊपर नीचे - उतरे । इस तरह वह आदमी उस शैतान को ऐसे काम में लगा
देता है जो कभी ख़त्म नहीं होता और उसके चंगुल से
छूट जाता है ।
बच्ची कहानी सुना कर कहने लगी, “ रात
को सोते वक्त मैं भी सीढ़ी पर चढ़ने- उतरने की बात सोचती हूँ और मुझे अच्छी नींद आ
जाती है।”
मैंने उससे पूछा, “यह तुम क्यों करती हो ?”
उसका जवाब था कि किताब में ऐसा लिखा था और उसकी मम्मी ने उसे समझाया था ।
उसकी बात सुनकर अच्छा लगा । मैं सोच में पड़
गई। एक कहानी ने उसके मानस पटल पर इतना गहरा असर किया कि वह बचपन से ही ध्यान
लगाना सीख गई। अनजाने ही रात को सोने से पहले वह ध्यान करती है ।अगर अभिभावक बचपन
से ही बच्चों को सुंदर कहानियाँ सुनाएँ , उनके साथ सही मायने में वक्त बिताएँ, तो
बच्चे क्यों नहीं सुंदर फूल की तरह खिलेंगे !
उषा छाबड़ा
२०.२.१६
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