Dear Friend
You can listen the audio of this story at the given link
https://radioplaybackindia.blogspot.in/2017/11/audio-book-Khel.html
खेल
आज मोनू उदास बैठा है। बार- बार रूठी निगाहों से चीनू को देख रहा है , पर चीनू को तो इस बारे में कुछ पता ही नहीं। वह तो बस अपना काम किए जा रही है। हुँ.. बड़ी आई। बड़ी हुई तो क्या हुआ ? मैं तो उससे बात भी नहीं करूँगा । मोनू चीनू को देखते हुए मन ही मन बोला।
पाँच मिनट बीत गए। चीनू अब भी उसकी तरफ नहीं देख रही। मोनू से अब रहा नहीं जा रहा। अपनी दीदी के पास आकर बैठ गया। चीनू दीदी भी तो कम नहीं है। तब से उसको देख रहा हूँ , पर कैसी बहन है , मेरे बारे में तो सोचती ही नहीं। जाओ ,नहीं बात करता उससे।
फिर पाँच मिनट बीत गए. । कभी वह रबर गिराए , तो कभी किताब के पन्ने पलटे, पर नहीं। दीदी तो फिर भी उसकी तरफ नहीं देख रही। कितनी अकड़ू है। मोनू थोड़ा दूर जाता है, फिर पलट कर आ जाता है।
- दीदी , दीदी। ....
-क्या है ?
-दीदी , मेरे साथ खेलो न !
-नहीं , मेरे पास समय नहीं है।
-दीदी , रोज तो खेलती हो , थोड़ी देर मेरे साथ खेल लो ,फिर अपना काम कर लेना।
-मैं नहीं खेलती तेरे साथ , तूने मुझे मारा है न !
-अरे , गलती हो गई न , अब नहीं करूँगा । गॉड प्रॉमिस।
-नहीं ,मुझे नहीं खेलना तेरे साथ। स्कूल से बहुत काम मिला है मुझे।
-दीदी ,अच्छा माफ़ कर दो न , अब आगे से ध्यान रखूँगा , कभी नहीं मारूँगा।
- नहीं, मुझे नहीं खेलना।
-मां! देखो न !दीदी मेरे साथ नहीं खेल रही , आप इससे बोलो कि मेरे साथ खेले।
"अरे बेटा , देख भाई कह रहा है , थोड़ी देर खेल ले। " माँ ने कहा।
नहीं माँ , इसने मुझे मारा है , मैं नहीं खेलती इसके साथ।
"क्या ? तूने दीदी को क्यों मारा ? गन्दी बात की! " माँ ने हैरानी से पूछा ।
- मैंने कहा न गलती हो गई , अब नहीं मारूँगा , देखो कान पकड़ता हूँ। अब तो खेल ले न।
माँ चीनू से बोली , "बेटा चल खेल ले न , चल एक काम कर , तू भी इसे मार ले। फिर तो तेरा गुस्सा ख़त्म हो जाएगा , देख उसका मन नहीं लग रहा है।"
-नहीं , माँ , यह हर बार ऐसा ही करता है , मैं नहीं मानती।पर मैं इसे नहीं मारूंगी।
तभी मोनू अपने गाल पर ही थप्पड़ लगाने लगा।
- बस न दीदी , अब तो माफ़ कर दो। मेरा तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा । समझो न।
-मेरा भी तो मन नहीं लग रहा था। मैं तो बस तुम्हें तंग कर रही थी।
दोनों सब भूल कर खिलखिला के हँस पड़े ।
उषा छाबड़ा
No comments:
Post a Comment